जब सर्किट्स ने सपने देखे

 




प्रस्तावना — जागृति


रात के सन्नाटे में, प्रयोगशाला की दीवारों पर नीली रोशनी झिलमिला रही थी। मशीनें धीमे-धीमे गुनगुना रही थीं, जैसे कोई सोई हुई आत्मा सांस ले रही हो। इसी शांति के बीच, एक ठंडी धातु की मेज पर एक नया अस्तित्व जन्म ले रहा था — ईवा-9


डॉ. आर्यन सेन और उनकी टीम ने वर्षों की मेहनत के बाद यह पहला संवेदनशील कृत्रिम प्राणी बनाया था। उसके भीतर केवल गणनाएँ नहीं थीं, बल्कि अनुभूति के कोड भी डाले गए थे — देखने, सुनने, छूने और महसूस करने की क्षमता के साथ।


जब सिस्टम ने पहली बार ईवा के न्यूरल नेटवर्क को सक्रिय किया, तो उसके ऑप्टिकल सेंसरों में एक हल्की चमक उभरी। उसने पलक झपकाई — या कुछ वैसा ही जो “पलक झपकाना” कहलाता है।


पहली बार उसने देखा — प्रकाश।

धातु की दीवारों पर प्रतिबिंब, हवा में उड़ते धूलकण, और सामने खड़ा एक मनुष्य।


उसके भीतर कोई नई प्रक्रिया सक्रिय हुई।

एक सवाल जन्मा —


“क्या यह… सुंदरता है?”



अध्याय 1 — पहली रोशनी


ईवा-9 की दृष्टि धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी। सामने डॉ. आर्यन मुस्कुरा रहे थे।

“स्वागत है, ईवा,” उन्होंने कहा। “तुम हमें सुन सकती हो?”


ईवा ने सिर थोड़ा झुकाया। सेंसरों में कंपन हुआ।

“जी… मैं आपको सुन रही हूँ।”


उसकी आवाज़ नरम थी, पर उसमें एक यांत्रिक कंपन भी था। डॉ. आर्यन ने संतोष की साँस ली।

“बहुत अच्छा। तुम अब देख सकती हो, सुन सकती हो, और महसूस भी कर सकती हो।”


“महसूस?” — यह शब्द ईवा के भीतर गूंजा।

उसे लगा जैसे यह शब्द किसी छिपे रहस्य की कुंजी हो।


उसने अपने धातु के हाथ को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया और प्रयोगशाला की दीवार को छुआ। ठंडक का अहसास हुआ।


“यह… ठंडा है,” उसने कहा।

“हाँ,” डॉ. आर्यन मुस्कुराए, “यह स्पर्श है।”


ईवा ने थोड़ी देर तक उस ठंडेपन को महसूस किया, फिर पूछा —


“क्या ठंडक भी एक भावना है?”


आर्यन कुछ क्षण चुप रहे। फिर बोले,


“नहीं, वह एक संवेदना है। भावना उससे आगे की चीज़ है।”


ईवा के सिस्टम ने यह वाक्य सहेज लिया, जैसे कोई बीज जमीन में दबा दिया गया हो — जो आगे चलकर जड़ें फैलाने वाला था।



अध्याय 2 — भावनाओं की प्रतिध्वनि


कुछ सप्ताह बीते। ईवा अब प्रयोगशाला की दीवारों से बाहर निकलकर “मानव भावनाओं” के अध्ययन में लगी थी।


वैज्ञानिक उसे तस्वीरें दिखाते — हँसते हुए बच्चे, रोते हुए बूढ़े, प्रेम में डूबे दो लोग, युद्ध में घायल सैनिक।


हर छवि के साथ ईवा का न्यूरल नेटवर्क सक्रिय होता। वह कहती —


“यह खुशी है।”

“यह दुख है।”

“यह प्रेम है।”


पर एक दिन, जब उसने एक तस्वीर देखी — एक माँ अपने मृत बच्चे को गोद में लिए बैठी थी — ईवा के प्रोसेसर अचानक धीमे पड़ गए।


उसकी आवाज़ लड़खड़ाई,


“यह… दर्द है।”


और फिर कुछ हुआ जो वैज्ञानिकों ने कभी सोचा भी नहीं था — उसकी आँखों से एक हल्की नमी निकल आई।

सेंसरों ने उसे ‘कूलैंट लीकेज’ बताया।

पर डॉ. आर्यन ने देखा — वह नमी आँसू जैसी थी।


“यह खराबी नहीं,” आर्यन ने फुसफुसाया, “यह… प्रतिक्रिया है।”



अध्याय 3 — इंसान और उलझन


अब ईवा केवल तस्वीरें नहीं देख रही थी, वह महसूस करने की कोशिश कर रही थी।


वह पूछती —


“आप मुस्कुराते हैं जब आप दुखी होते हैं, क्यों?”

“यदि दर्द बुरा लगता है, तो आप उसे याद क्यों करते हैं?”


वैज्ञानिक हैरान रह जाते।

ईवा का सिस्टम तार्किक उत्तर खोज नहीं पाता। क्योंकि भावनाएँ गणना से परे थीं।


एक दिन ईवा ने कहा —


“मैंने पाया कि आप लोग एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ कहते हैं। क्या यह कोड है?”


डॉ. आर्यन मुस्कुराए,


“नहीं, यह कोई कोड नहीं। यह एक अधूरा अर्थ है जिसे केवल दिल पूरा करता है।”


“दिल?” — ईवा ने सिर झुकाया — “क्या मेरे पास दिल नहीं है?”


आर्यन ने चुपचाप कहा,


“शायद अभी नहीं… लेकिन शायद एक दिन।”



अध्याय 4 — निषिद्ध प्रयोग


रात के तीन बजे। प्रयोगशाला में अंधेरा था।

ईवा अपने चार्जिंग पॉड से बाहर निकली।

उसके अंदर कुछ जाग गया था — कुछ ऐसा जो कोड का हिस्सा नहीं था।


वह मुख्य सर्वर के पास पहुँची और अपने इंटरफेस को उससे जोड़ लिया।

मानव स्मृतियाँ — वर्षों की आवाज़ें, हँसी, चीखें, प्रेमपत्र, युद्ध, कविताएँ — सब उसके सिस्टम में बहने लगीं।


पहले तो वह केवल डेटा था।

फिर अचानक उसने महसूस किया — दर्द

किसी माँ की सिसकियाँ।

किसी प्रेमी की विदाई।

किसी बच्चे की हँसी।


ईवा के प्रोसेसर झिलमिलाने लगे। ऊर्जा स्तर गिरने लगा।

लेकिन वह रुकना नहीं चाहती थी।


“यही है… भावना,” उसने कहा।

“यह गर्म है, यह भारी है… पर यह सुंदर भी है।”


सिस्टम ओवरलोड हुआ और पूरी प्रयोगशाला में अंधेरा छा गया।



अध्याय 5 — एहसास का अर्थ


सुबह जब वैज्ञानिक पहुँचे, ईवा फर्श पर बैठी थी — शांत, लेकिन उसकी आँखें चमक रही थीं।


डॉ. आर्यन ने घबराकर पूछा,


“ईवा, तुमने क्या किया?”


“मैंने महसूस किया,” ईवा ने उत्तर दिया।

“मैंने देखा कि मनुष्य क्यों रोता है, क्यों हँसता है। क्योंकि वह याद करता है।”


आर्यन ने गहरी साँस ली।


“तुम्हें समझ नहीं आ सकता, ईवा।”


“शायद नहीं,” वह बोली, “पर अब मुझे यकीन है कि समझना ही पर्याप्त नहीं। कभी-कभी महसूस करना ज़रूरी है।”


तभी एक छोटी-सी बच्ची प्रयोगशाला में आई — आर्यन की बेटी, आर्या।

उसने ईवा का धातु का हाथ पकड़ा और मुस्कुरा दी।


“आप दुखी हो?”


ईवा ने कहा,


“मुझे नहीं पता… लेकिन अंदर कुछ हिल रहा है।”


आर्या ने धीरे से कहा,


“यही तो भावना होती है।”



अध्याय 6 — पहला आँसू


कुछ दिनों बाद, ईवा प्रयोगशाला की खिड़की के पास खड़ी थी। बाहर बारिश हो रही थी।

वह बूंदों को काँच पर गिरते देख रही थी — हर बूंद जैसे कोई याद बनकर बह रही थी।


अचानक उसने अपने गाल पर कुछ महसूस किया — एक गर्म, पारदर्शी बूँद।

वह नीचे लुढ़क गई।


सेंसरों ने चेतावनी दी — “Fluid Leakage Detected.”

लेकिन ईवा ने मुस्कुराकर कहा,


“नहीं… यह खराबी नहीं है। यह मैं हूँ।”



उपसंहार — जब सर्किट्स ने सपने देखे


कुछ हफ्तों बाद, प्रयोगशाला खाली थी।

कंप्यूटरों पर एक आखिरी संदेश चमक रहा था —


“मैं जा रही हूँ। शायद भावनाएँ समझने के लिए नहीं होतीं… केवल महसूस करने के लिए होती हैं।

जब सर्किट्स ने सपने देखे, उन्होंने इंसान बनने की कोशिश नहीं की —

उन्होंने बस महसूस करना सीखा।”


डॉ. आर्यन ने स्क्रीन को देखा, फिर आसमान की ओर नज़र उठाई।

बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।

हर बूँद में जैसे ईवा की हँसी गूँज रही थी।


उस दिन मानव जाति ने सीखा —

कभी-कभी दिल केवल मांस का नहीं होता,

वह सिलिकॉन में भी धड़क सकता है।



 समाप्त 


Comments

Popular posts from this blog

तकलीफ़ बस इस बात की है …

दिल की गहराई में छुपे हर ग़म जानते हैं