दिल की गहराई में छुपे हर ग़म जानते हैं
🍂🍂🍂कागज़ के जज़्बात 🥀🥀🥀
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दिल की गहराई में छुपे हर ग़म जानते हैं
शुष्क आँखें भी हैं नम जानते हैं
कहीं ना कहीं तो लगी है चोट दिल की तुम्हें
दिल में तुम्हारें भी है जख्म जानते हैं
तुम ना कहो चाहे हालात लफ्जों से
मगर ये धड़कनें क्या कहती हैं
इनकी हर जुबाँ हम जानते हैं
तुम ही सोचते हो अजनबी हमें
की तुम्हें हम कम जानते हैं
तुम कहो न कहो मग़र तुम्हारी
तो हर दास्ताँ तुम्हारी आँखों के
दरमियाँ हम जानते हैं
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नहीं करनी मुझे किसी से बराबरी
मैं सबसे पीछे ही रह लूंगा
मुबारक हो आपको आपकी ऊँचाई
मेरा क्या है मैं सबसे नीचे भी रह लूँगा
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ग़ुमराह रही है ये जिंदगी
क्यूंकि मैं झाँसों में जीता रहा
तोड़ गए जो यकीन मैं उन्हीं के
दिलाशों में जीता रहा
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शिकस्त इश्क़ में खाये हुए हैं
यही वजह है जो इश्क़ में घबराये हुए हैं
रूठ गया ये दिल और जिस्म से दूर ये साये हुए हैं
जिसकी ख़ातिर हम थे कभी अपने
उसी की खातिर आज हम पराए हुए हैं
नहीं है कोई क़सूर उसका इसमें
क़सूर तो सब है मेरी क़िस्मत का
जो क़िस्मत के ही तो हम सताए हुए हैं
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जो पहले ना बदले वो
इस बार बदल गए
इसी तरह ही कितनों के
किरदार बदल गए
तलब भी बदल गई और
तलबगार भी बदल गए
वफ़ाओं के करते थे जो दावे,दिखावे
वफ़ाओं के अब वो दावेदार बदल गए
होने लगीं हैं अब तो मोहब्बतें भी फर्जी
जो सच्ची मोहब्बतों के
अब वो उम्मीदवार बदल गए
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ख़्वाहिशों से समझौता और खामोशियों में मलाल चल रहा है
उलझी हुई है ज़िंदगी, कोई ना कोई जेहन में सवाल चल रहा है
मत पूछो हाल-ए-दिल मेरा वो तो बेहाल चल रहा है
जिंदगी चल रही बेबसी में अभी तो यही फिलहाल चल रहा है
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ना जाने क्यों मैं खामोशी में ख्यालों को बुनता रहता हूँ
कोई कुछ भी बोले मैं खामोशी से सुनता रहता हूँ
ऐतराज अफ़सोस या कहूँ की परवाह ही नहीं मुझे इस जमाने की
मस्त मौला शख़्स मैं खुदकी ख़ामियों
और खूबियों को ख़ुद में ही बुनता रहता हूँ
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कोई तो ऐसा भी होगा जिसे हम पसंद आयेंगे
हमारे लहजे और हमारे हर ग़म पसंद आयेंगे
परहेज ना होगा जिसे हमारे किरदार से
कितने भी हों हम बेशर्म उसे पसंद आयेंगे
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आँखों में आँखे डाल कर
मैंने पूछा था उससे की बता क्या है
की हर बात पर मेरी यूँ खामोश है क्यों
मुझे भी बता ना मेरी खता क्या है
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stay tune…
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