तकलीफ़ बस इस बात की है …
शायरी खामोशियों की जुबाँ से✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿तकलीफ़ बस इस बात की है
की अब वो मुझे पहचानता नहीं हैताउम्र गुज़ारी है मैंने जिसके साथवो कहता है की मुझको जानता नहीं है
✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿सफ़र अधूरा रह गया वोजिसमें तुझे हम पाना चाहते थेबातें भी वो बयाँ ना हो सकीं वो बातेंजो तुझे हम बताना चाहते थेदफ़न कर दिए हमने वो सारेअब जज़्बात जो करके मुलाकातहम तुझे जताना चाहते थेगया था तू ही यूँ मुझसे ख़फ़ा हो कर उस मोड़ सेउस मोड़ पर हम तो कबका तुझे मनाना चाहते थेना हो सकी इश्क़ में हम से ख़फ़ा नाराज़गी तुझसेमेरे दिल में थी ये जो कशमकश तेरी ख़ातिरब मोहलत वो हम तुझे समझाना चाहते थेज़्यादा कुछ नहीं थी मेरे दिल की ख़्वाहिशबस तेरे दिल में हम जरा सा ठिकाना चाहते थे
✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कोई ऐसा तो नहीं मिला अभी तलकजो मेरे दिल की बात समझ सकेया फिर कोई ऐसा जो मेरे हालात समझ सकेयूँ तो मिले बहुत थे मुझे लोग इस जमाने मेंमगर वो ना मिला मुझको जो मेरे जज़्बात समझ सकेझाँक कर मेरी आँखों की गहराइयों मेंवहीं पर मौजूद है जो बरसात समझ सके✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿घड़ी है ये इम्तिहान कीसो इम्तिहान दे रहे हैंवो माँगता है जब भीतो ख़ुशी से अपनी जान दे रहे हैंकिसी से न की कभी उसकी शिकायतना ही कभी उस रब से हमये सब बयान कर रहे हैंउसके एक इशारे पर हम अपनीहर ख़ुशी को ख़ुशी से क़ुर्बान कर रहे हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿आख़िर क्यूँ आए हो तुम ये पैग़ाम लेकरसाथ में यादें भी उसकी तमाम लेकरइरादा पक्का कर चुके हो क्यायूँ मुझको तुम सताने काजो आए हो मुक़्क़मल ये इंतज़ाम लेकरअरसों पुराना कोई इंतक़ाम लेकरऔर साथ में बेरहम सी ये शाम लेकर✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿जरूरी था क्या दिल में आकर जानाया फिर दिल को दुखाना जरूरी थाठुकराना ही था आख़िर में अगरतो फिर क्या मुझे अपनाना जरूरी थावादे भी जो निभाने का अगर इरादा नहीं थातो फिर ये बताओ की क्या वो बहाना जरूरी था✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿नहीं है कोई तुम जैसा हसीनतो क्या हम जैसा कोई अजीब होगाक़ातिल खुदकी ख्वाहिशों काया हम जैसा कोई बदनसीब होगा✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿मत पूछो इश्क़ की तुममै भी वहाँ से होकर आया हूँलूट गए मेरे ख़्वाब सभीऔर खाकर वहाँ से ठोकर आया हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿रौंद दिए गए थे जो इश्क़ मेंएक दफ़ा फिर से सुधार कर के वो गुलाब लाया हूँकिराए की हैं ये नींदें और उधार के वो ख़्वाब लाया हूँहर पन्ने पर जिसमें लिखी हुई है वफ़ा-ए इश्क़बड़ी ही मशक़्क़त से ढूँड कर के वो किताब लाया हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿मत पूछ मुझसे पहेलियों मेंजो भी कहना है तुझेतू वो साफ़ साफ़ कह दे नजरूरी नहीं हर बात मेरे ही हक़ की होतुझे जो कहना है मेरे ख़िलाफ़ तो कह दे न✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿आँखें पढ़ कर देखिए कभीआपको बेहद राज मालूम हो जायेंगेना हो सके जो खामोशियों में बयाँवो दिल के अल्फ़ाज़ मालूम हो जाएँगे✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿लाख नारजगी है उसको मुझसेमगर वह इन सब के बावजूद रहती हैढूंड सको तो ढूँड लेना तुम उसेवो मुझमें आज भी मौजूद रहती है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿समझा न पाया मैंया फिर तुम्ही समझ न पायेकी तुम ही मेरे साये की तरह होअपनाता रहा तुम्हें मैं तुम्हारे हर अक्स मेंऔर तुम्हारा बर्ताव ये थाकी जैसे पराये की तरह हो तुम✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿समझा न पाया मैंया फिर तुम्ही समझ न पायेकी तुम ही मेरे साये की तरह होअपनाता रहा तुम्हें मैं तुम्हारे हर अक्स मेंऔर तुम्हारा बर्ताव ये थाकी जैसे पराये की तरह हो तुम✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿मूँद ली आँखें और तुमको याद करता रहातुम तो जा चुके थे मगर तुम्हारे लौटने कीमैं फ़रियाद करता रहाहँसी आई ख़ुद पर औरदिल पर रोना आया की क्यों ही बेवजहमैं वक्त बर्बाद करता रहा✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कितना भी गहरा क्यों ना होइसको छुपाना पड़ता हैइश्क़ में आख़िरकार पछताना पड़ता हैठुकराये जाने पर भी जाना पड़ता हैअपने ही दिल को सताना पड़ता हैदिल तोड़ कर इश्क़ में दिखाना पड़ता हैअजीब है ये रस्म मगर निभाना पड़ता है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿उससे जो लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं हो सकताकितना भी करूँ मैं मगरउससे फ़ासला नहीं हो सकतायादों में मेरे महफ़ूज़ है आज भी वोयहाँ से तो कभी वो लापता नहीं हो सकताइश्क़ तो दिल की एक सौगात हैये कोई मसला नहीं हो सकता✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿एक अधूरी सी आस लेकर आया था मैं ख्वाहिशें तेरे पास लेकरउम्मीदों भरी निगाहें और दिल में विश्वास लेकरआया था कुछ यादें तेरी साथ अपने खास लेकरबातें वो तेरी मीठी मीठी और तेरे ही एहसास लेकरआया था मैं पास तेरे हिस्से की अपनी साँस ले कर✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿तोड़ तोड़ कर टुकड़ों में इस दिल कोमैं बर्बाद करता रहाबेक़सूर था ये मासूम दिलउसके बाद भी मैं इसे बर्बाद करता रहाछीन लिया मैंने इससे वो सारे जज़्बात प्यार केऔर तेरी यादों को इस दिल से मैं आजाद करता रहाहैरानी है मुझको इसकी इस बात पर कीटुकड़ों टुकड़ों में बिखर गया था ये दिलबावजूद उसके ये तुझको ही याद करता रहा✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कभी एक संकल्प थी तुम मेरीमगर अब मात्र एक कल्पना हो तुमठुकरा चुका हूँ अब तुम्हारीसारी लावारिस उन यादों कोमेरी खातिर अब मात्र एक सपना हो तुम✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿बहुत कुछ बचा है अभी भी जो तुझको कभी बताना थाबातें वो जो तू कभी समझी नहीं वो भी तुझको समझाना थालक़ीरों में ना थी ना ही तक़दीरों में तू मिलीकह भी ना सका तुझे कितनी मुद्दतों से तुझको पाना था✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿वो सामने आ जाए तो मैं घबराता रहता हूँफिर भी ना जाने किस बात पर मैं इतराता रहता हूँमुद्दतों से मुद्दा वो खामोशियों में दफ़्न थाजिसकी दास्ताँ मैं सभी को बतलाता रहता हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿चलने दो आज ये कलममुझे हर बात लिखनी हैखामोशियों तले दफ़्न थी जो मेरेअल्फ़ाज़ों के ज़रिए उसकी हरवो वारदात लिखनी हैडर नहीं रहा मुझे अब उसकी जुदायी काइसलिए उससे जो मिली हैवो रिहाई की सौगात लिखनी है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ज़िन्दगी ये मेरी अभी उदास चल रही हैधड़कनों से ख़फ़ा ये मेरी साँस चल रही हैनहीं रहा मैं अब मुझमें मौजूद कहींहर तरफ़ मेरे वजूद की तलाश चल रही है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿विश्वास ही टूटा हो जहाँवहाँ उम्मीदें भी क्या कर सकती हैंऔर आँखें ही रूठीं हों ख्वाबों से अगरतो नींदें भी क्या कर सकती हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ग़ैरों की अमानत थी वो जो दो पल की ख़ुशी मिली थीआख़िरकार उसे मोड़ कर आना थाऔर वो यादें जो दो पल थी साथ मेरे उसे भी यार छोड़ कर आना था✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿तेरी दहलीज़ से ठुकराया हुआ मैं सवेरा हूँतू मान ना मान मगर मैं तेरा हूँतू चमकती चाँदनी है अगर उस चाँद कीतो मैं भी तुझसे लिपटा हुआ अँधेरा हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿नहीं हो सकतीं हमसे ये बयानबाज़ियाँसो हमने तो हार मान लीतुम ही हो इकलौते बेक़सूरहमारी तो निगाहें भी हैं क़ुसूरवार हमने मान ली✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿किसी और जहाँ की है वोकी उसे वफ़ा के बारे में कुछ मालूम नहीं हैया फिर ये दिल ही पागल है मेराजिसे उस बेवफ़ा के बारे में कुछ मालूम नहीं है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कोई ऐसा तो नहीं मिला अभी तलकजो मेरे दिल की बात समझ सकेया फिर कोई ऐसा जो मेरे हालात समझ सकेयूँ तो मिले बहुत थे मुझे लोग इस जमाने मेंमगर वो ना मिला मुझको जो मेरे जज़्बात समझ सकेझाँक कर मेरी आँखों की गहराइयों मेंवहीं पर मौजूद है जो बरसात समझ सके✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿क़लम का सिपाही हूँमैं कलम की बात लिखता हूँलिखते होंगे लोग मसख़रेमगर मैं तो जज़्बात लिखता हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿पूछो कभी उससे भी वो दिल में अपनेतुम्हारे लिए क्या जज़्बात रखती हैसमझते हो तुम तो उसके इशारेमगर वो भी क्या तुम्हारी खामोशियों कीमुक़्क़मल मालूमात रखती है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿सफ़र अधूरा रह गया वोजिसमें तुझे हम पाना चाहते थेबातें भी वो बयाँ ना हो सकींवो बातें जो तुझे हम बताना चाहते थेदफ़न कर दिए हमने वो सारेअब जज़्बात जो करके मुलाकातहम तुझे जताना चाहते थेगया था तू ही यूँ मुझसे ख़फ़ा हो कर उस मोड़ सेउस मोड़ पर हम तो कबका तुझे मनाना चाहते थेना हो सकी इश्क़ में हम से ख़फ़ा नाराज़गी तुझसेमेरे दिल में थी ये जो कशमकश तेरी ख़ातिरब मोहलत वो हम तुझे समझाना चाहते थेज़्यादा कुछ नहीं थी मेरे दिल की ख़्वाहिशबस तेरे दिल में हम जरा सा ठिकाना चाहते थे✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿सीख रहा हूँ अभीकी कैसे प्यार किया जाता हैकरके गुमराह दिल को कैसेइस झूठ का कारोबार किया जाता है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿तुम्हें भी खड़ा होना पड़ेगा उस कटघड़े मेंइकलौता मैं ही क़ातिल नहीं हूँबराबर के हम दोनों गुनहगार हैंउस गुनाह में अकेला मैं ही शामिल नहीं हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿खामोशियों में भी अल्फ़ाज़ बड़े गहरे होते हैंयादों की ये आवाज लिए ठहरे होते हैंपाबंदियाँ होतीं हैं खामोशियों मेंकी कुछ भी बयाँ ना हो सके जुबान सेतभी तो सख़्त से सख़्त यहाँ अल्फ़ाज़ों के पहरे होते हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿उठाकर कलम हम एक ही पैग़ाम लिखने लग जाते हैंउसकी यादें उसकी बातें हम सुबह शाम लिखने लग जाते हैंइक वो है जिसको मेरे ख्याल तक नहीं आतेइक हम हैं जो ख्वाबों में भी खुदकोउसके नाम लिखने लग जाते हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿पूरा शहर ही तेरे नाम हो चुका हैकिससे करूँ मैं शिकायत तेरीये शहर जो तेरा ग़ुलाम हो चुका है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿मुरझाना ही था उसे आख़िर मेंइसलिए उसने खिलना छोड़ दियाहाथ में सबक़े छुरे थे यहाँलिहाज़ा सबसे मिलना ही छोड़ दिया✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कोई इस पागल दिल कोसमझाने वाला नहीं हैकैसे समझाऊँ मैं इसकोकी अब वो आनेवाला नहीं है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿आँखों में बस नमीं रह गई थीउसके बाद तो बस उसकी कमीं रह गई थीकह ना सके हम उससे कुछ भी उसके जाने परजुबान जो मेरी होठों में बस जमीं रह गई थीआँखें खुली होठ खामोश औरधड़कने भी ये थमीं रह गई थी✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कहने दो ना मुझे जो उसको पैग़ाम कहना हैअरसों से दिल मैं क़ैद हैं जो वो बातें उससे तमाम कहना हैनहीं हो सकेंगी बयाँ मुझसे मेरी ये ख़ामोशियाँसो इसी लहज़े में उससे उसके इल्ज़ाम कहना है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿अभी भी तेरी यादों कामैं बोझ लिए घूम रहा हूँएक तू ही तो है जिसकी यादेंमैं हर रोज़ लिए घूम रहा हूँतेरे ही इंतज़ार में मैंने हर लम्हा गुज़ारा हैमगर तुझे ख़बर ही कहाँ की कितनी शिद्दत सेमैं दिल में तेरी खोज लिए फिर रहा हूँ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿आँखों में अश्क़ होना चाहिएऐसा नहीं है की हर शख़्स रोना चाहिएहो जाती हैं साफ़ नज़र औरदिल साफ़ हो जाता है अगरतो फिर जायज़ है आँखें भिगोना चाहिए✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿उनकी याद आती रहती हैउनसे मिलने की इस दिल सेफ़रियाद आती रहती हैक्या थी कमी हम मेंजो छोड़ गए वो हमेंहर ख़बर हमें उनकीउनके बाद आती रहती है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿टूट गईं हैं नींदें तो क्यानींदें तो टूटती रहती हैंटूट गईं हैं उम्मीदें तो भी क्याउम्मीदें भी तो टूटती रहती हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿सायर तो सारे के सारे झूठे होते हैंउनकी उम्मीदें और उनके सहारे भी झूठे होते हैंकरते हैं वो बातें बयां अपनी इशारों मेंमगर उनके तो सारे इशारे भी झूठे होते हैंकैसे होंगी बातें सच्ची उनसेसच की वजह से ही तो वे बेचारे टूटे होते हैंयूं हैं नहीं सारे सायर झूठे होते हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿आ गए हम भी इश्क में हार करकर्ज़ उनकी ख्वाहिशों का उतार करऔर अपने ख्वाबों को इन्हीं हाथों से उजाड़ कर✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कितनी तो सिफारिस की थी तब उसने बारिश की थीकैसे कहूँ की मेरा हमदर्द है वो खुदाजिसने मेरे ख़िलाफ़ इतनी साज़िश की थी✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿वो कहता है की सब समझता हैखुदको वो रब समझता हैमायूसी मेरी आँखों कीऔर मेरी खामोशियों कामतलब समझता है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿नाज़ुक होती हैंजज्बातों की डोरइसलिए इन परइतना जोर नहीं करतेजाने दे ऐ दिलइतना गौर नहीं करतेयूँ छोटी छोटी बातों परइतना शोर नहीं करतेहांसिल नहीं होती हैंकुछ ख्वाहिशें भीइसलिए खुदकोइतना कमज़ोर नहीं करते✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿मेरी बातों को मुलाक़ातों को ऐसे भुलाना नहीं थातुम्हें जाना ही था अगर तो ऐसे जाना नहीं थाक्यूंकि तुम ही तो थे मंजिल मेरी मेरातुम्हारे सिवा कोई और ठिकाना नहीं था✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿उसे आज़माना भी था अगर हमेंतो हम इम्तिहान भी देने वाले थेएक इशारा भी उसका काफ़ी थाउसकी ख़ातिर हम तो अपनी जान भी देने वाले थे✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿तुझे खोने का इस दिल में मलाल चल रहा हैतेरी यादों का सिलसिला अब तो फ़िलहाल चल रहा हैअजीब सी है कश्मकश और अजीब सी हैं ये मजबूरियाँकी वक़्त भी बड़ी तेज़ी से अपनी चाल बदल रहा है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿वो कहती तो है कीवो कहीं नहीं जाएगीमगर फिर भी वोउसकी बेरुखी सही नहीं जाएगी✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿कैसे करूँ बयाँ मैं वो शब्दजो मेरे दिल में अधूरे रह गएपसंद आ गया उसको ये सारा जमानाएक हम ही उसकी ख़ातिर बुरे रह गए✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿बदल गए हैं सब किरदारऔर अब कहानी भी बदल गई हैनहीं रहे अब वो राजा औरअब रानी भी बदल गई है✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿चुभती है खामोशीऔर साये भी चुभने लगे हैंहालात अभी ऐसे हैंकी अपने तो अपनेपराये भी चुभने लगे हैं✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿किस हिसाब का है ये जमाना इस बार उसको हमने आजमाने दियाउससे ना वफ़ा हुई ना प्यार सो इस बार उसको हमने जाने दियाएक दफ़ा नहीं जाने कितनी दफ़ा हमने उसको सब कुछ दोहराने दियाउससे ना वफ़ा हुई ना ही प्यार फिर भी उसे प्यार के बहाने दिया✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿ ✿हमारे जज्बातों की जहाँ हिफ़ाज़त नहीं हैऐसी महफ़िलों की हमको चाहत नहीं हैमुंह फेर कर हम भीड़ से अक्सर तनहा चलते हैंक्यूंकि भीड़ में हमें चलने की आदत नहीं है
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stay tune ……
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