हालातों ने हमें कमजोर कर दिया है
🍂🥀 काग़ज़ के जज़्बात 🥀🍁
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हालातों ने हमें कमजोर कर दिया है
हम थे कुछ और हमें कुछ और कर दिया है
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झूठी उम्मीदें या फिर झूठे दिलासे दिए जाते हैं
इश्क़ में आमतौर पर झाँसे दिए जाते हैं
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वो तोड़ती रही मेरी उम्मीदें और मैंने उससे कोई जवाब नहीं लिया
खता ये थी मेरी की उसकी इस खता का उससे कोई हिसाब नहीं लिया
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लिखने पर हमको हालातों ने मजबूर कर दिया
टूटीं जब नींदें तो रातों ने मजबूर कर दिया
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मत रोक मुझे मेरे हालातों से लड़ने पर
वरना कैसे सँभालूँगा मैं मेरे हालातों के बिगड़ने पर
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आँखों में ग़म लबों पर हँसी लिए बैठे हैं
इश्क़ में अजीब सी ये बेबसी लिए बैठे हैं
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मर्ज़ी का मालिक और जरा सा मसखरे मिज़ाज का हूँ
बाक़ी तुम जो भी समझों मैं तो मेरे अंदाज़ का हूँ
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ख्वाहिश थी कलम की की कुछ खास लिखा जाये
पिरो कर शब्दों में तेरे एहसास लिखा जाये
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तेरी ख़ातिर ही तो मैं इतने गुनाह कर रहा था
क़त्ल ख्वाहिशों का अपनी मैं बेपनाह कर रहा था
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थाम कर तू हाथ में हाथ तो चल
चल दो पल तू मेरे साथ तो चल
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नहीं है आसान इस दिल को समझना
इसके हालात या इसकी मुश्किल को समझना
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बेचैन था मैं कबसे की तुझसे इज़हार करूँ
करे तू मना भी अगर तो ताउम्र मैं तेरा इंतज़ार करूँ
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सिलसिला ये चंद अल्फ़ाज़ों का है
दिल में दफ़्न चन्द आवाजों का है
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ऐ कलम तु मुझे अभी थोड़ा आराम करने दे
भुला कर उसे कुछ पल मुझे मेरा काम करने दे
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चला गया वो शख़्स मुझे इश्क़ में गुमराह करके
उजाड़ कर मेरे ख़्वाब मेरी नींदे भी तबाह करके
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आयेगा इक रोज़ वो इस आसार में बैठे हैं
हम भी कम्बख़्त उसके इंतज़ार में बैठे हैं
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पढ़ कर तेरी आँखों को हमने लिखना सीखा है
तेरी यादों की ही बदौलत ये सलीखा सीखा है
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अजीब थे हम जो सुकून के पल ढूँडते रहे
जो आज मिला उसे कल ढूँडते रहे
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क्या है कारोबार इससे पहले कैसा है व्यवहार देखा जाता है
जज्बातों की फिकर हो जहाँ वहाँ किरदार देखा जाता है
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मत माँग तू मुझसे सबूत मेरे प्यार का
क्यूंकि सीखा ही नहीं मैंने सलीखा अभी तक इज़हार का
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वो जो मेरी खिलाफत में था मैं उसकी ही तरफ़दारी करता रहा
उसकी ख़ातिर मैं अपनी ही ख्वाहिशों की गिरफ़्तारी करता रहा
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एक वो ही तो था जिसकी नज़रों से हम घायल हुए हैं
छोड़ कर बाक़ी सबको एक उसी के हम क़ायल हुए हैं
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हमने तो हमारी हारी है
अब ये बाजी तुम्हारी है
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दुआ करना की कोई ग़लत लत ना लग जाये
उसकी यादें उसकी बातें या फिर उसकी सिफ़त ना लग जाए
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सामने हो वो जब भी मेरे मैं ख़ुद को संभाल नहीं पाता हूँ
इकलौता वो शख़्स है मैं जिसकी बातों को टाल नहीं पाता हूँ
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चल रही हैं साँसें भी उसी के नाम पर
आ गया हूँ मैं इश्क़ के उस मुक़ाम पर
stay tune …
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