Monday, February 12, 2024

अजनबी

 



सुबह के तक़रीबन 4:00 बजे होंगे 

कि बाहर गली से कुत्तों के भौंकने कि आवाज़ें आने लगी 

हलचल ऐसी हो रही थी मानो बाहर कोई भाग रहा हो आम तौर पर ऐसा कभी हुआ तो नहीं था इसलिए मेरा मन भी घबराया हुआ था और अकेला होने कीवजह से हिम्मत ना हुई की बाहर जाकर तफ़तीस की जाये की माजरा क्या है बस बिस्तर पर लेट कर 

दिमाग़ी घोड़े दौड़ा रहा था

 मग़र घबराहट उस वक्त और बढ़ गई जब वो हलचल

 वो आहट मेरी ही ओर आती मालूम हुई मन में घबराहट का मानो समंदर भर गया था रात को देर से सोया था इसलिए नींद भी नहीं छोड़ रही थी बिस्तर भीपूरी तरह से जकड़ रखा था बाहर की ठंड कि वजह से राजायी कि गर्मी ने भी मुझे अपने बस में कर रखा था लेकिन कुछ गड़बड़ ना हो इसलिए

मैंने थोड़ा हौसला बढ़ाया अपना और हिम्मत करके बिस्तर से उठा बाहर जाने की हिम्मत नहीं हुई इसलिए

दरवाज़े बंद करके वापस फिर बिस्तर पे लेट गया

मगर मेरी निगाहें अभी भी दरवाज़े को ही ताक रहीं थी 

मेरी धड़कने भी घोड़े से तेज दौड़ रही थी 

नींद  रही थी मगर पत्ते की आहट से भी 

आँखें खुल रही थीं फिर जैसे तैसे मैंने ख़ुद को सम्भाला और सोने की कोशिश करने लगा की तभी

कोई दरवाज़ा ज़ोर ज़ोर से खटखटाने लगा 

मेरी घबराहट अब और बढ़ चुकी थी

फिर भी मैं दरवाज़े पर गया

दरवाज़ा खोला तो वहाँ एक आदमी 

काफ़ी घबराया हुआ बदहाल हालत में 

खड़ा था और मुझसे मदद माँग रहा था 

उसका पूरा शरीर खून से लथपथ हो चुका था मैं तुरंत उसे लाया अपने बिस्तर पर लिटाया उसकी जो भी दवा हो सकी मैंने प्राथमिक चिकित्सा की औरउसे बोला की डॉक्टर को बुलाया है आते ही होंगे

वो घबराया और बोला की किसी को मत बुलाओ

किसी को मत बताना मैं यहाँ हूँ वरना वो मुझे मार देंगे अब मैं भी हैरान था की कौन है ये कहीं कोई अपराधी तो नहीं मैं भी डरने लगा फिर उसने बोला तुमघबराओ मत तुम्हें कोई नुक़सान नहीं पहुँचाऊँगा 

मैं कोई ग़लत आदमी नहीं हूँ  उसका हुलिया भी बदमाशों जैसा नहीं था इसलिए मैंने भी विस्वास कर लिया 

दिन काफ़ी चढ़ चुका था सूरज कि किरण अब खिड़की से घर के अंदर दाखिल होने लगी थीं सब लोग अब अपने  रोज़ मर्रा के काम काज में जुट गये मैंएक कोने में बैठा बस उसे देखे जा रहा था मन ही 

मन बहुत से सवाल उठ रहे थे  मगर उस आदमी का हाल बेहाल देख कर मैंने कोई सवाल करना ठीक नहीं समझा इसलिए चुप चाप बैठा रहा बस ईश्वरसे प्रार्थना किए जा रहा था की हे प्रभु कुछ भी ग़लत ना होने देना 

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अजनबी

  सुबह   के   तक़रीबन  4:00  बजे   होंगे   कि   बाहर   गली   से   कुत्तों   के   भौंकने   कि   आवाज़ें   आने   लगी   हलचल   ऐसी   हो   रही  ...