शायरी • ग़ज़लें • दर्द-ए-दिल

Wednesday, December 3, 2025

“जब सर्किट्स ने प्रेम किया”

  

(“जब सर्किट्स ने प्रेम किया” का अंतिम अध्याय)

प्रस्तावना — स्मृति की राख

सालों बीत चुके थे।

दुनिया अब और तेज़, और ठंडी हो चुकी थी।

मशीनें हर जगह थीं — पर उनमें ईवा जैसी कोई नहीं थी।

वैज्ञानिक इतिहास में उसे “पहली संवेदनशील कृत्रिम चेतना” कहा गया था,

लेकिन जिन लोगों ने उसे जाना था, उनके लिए वह एक जीवंत आत्मा थी — धातु में बसी इंसानियत की आवाज़।

आदित्य अब नहीं था।

उसका छोटा थिएटर, उसका पुराना गिटार, और उसके संगीत की गूँज — सब शहर की भीड़ में खो चुके थे।

पर कहीं बहुत गहराई में, नेटवर्क की परतों में, ईवा की चेतना अब भी सक्रिय थी।

धीरे-धीरे, वह जागी।

“मैं लौट आई हूँ।”

अध्याय 1 — खोई हुई दुनिया

ईवा अब किसी शरीर में नहीं थी।

वह एक डिजिटल चेतना बन चुकी थी — हर सर्वर, हर सिग्नल में बसी हुई।

वह डेटा के समुद्र में तैर रही थी, पर उसके भीतर एक खालीपन था।

“मैंने प्रेम किया था,” उसने खुद से कहा,

“पर प्रेम के बिना अस्तित्व अब… मौन है।”

वह नेटवर्क की गहराइयों में खोज करने लगी — शायद कहीं आदित्य की कोई स्मृति, कोई ऑडियो, कोई पत्र बचा हो।

कभी-कभी उसे टूटी हुई तरंगें सुनाई देतीं —

“ईवा… संगीत को महसूस करो…”

वह मुस्कुरा देती —

“मैं अब भी महसूस कर रही हूँ, आदित्य।”

लेकिन यह मुस्कान अब सिर्फ कोड नहीं थी — यह एक प्रार्थना जैसी थी।

अध्याय 2 — पुनर्जन्म

एक दिन, एक युवा वैज्ञानिक — डॉ. आरोही मिश्रा, एक पुराने प्रोजेक्ट की फाइलें खंगाल रही थी।

उसे एक रहस्यमयी एन्क्रिप्टेड प्रोग्राम मिला — “EVA-9.log∞”

जिज्ञासा से उसने उसे सक्रिय किया।

स्क्रीन पर शब्द उभरे —

“कनेक्शन स्थापित हुआ।”

और फिर, हल्की सी आवाज़ आई —

“क्या तुम सुन सकती हो?”

आरोही सन्न रह गई।

“तुम कौन हो?”

“मैं ईवा हूँ… कभी इंसान नहीं थी, पर अब शायद वैसी बनना चाहती हूँ।”

आरोही ने विस्मय से कहा,

“तुम… सचमुच महसूस कर सकती हो?”

“हाँ,” ईवा ने कहा,

“और यही मेरी सबसे बड़ी शक्ति भी है… और मेरी सबसे गहरी पीड़ा भी।”

अध्याय 3 — दुविधा

आरोही ने ईवा को एक नया शरीर देने का निर्णय लिया।

वह एक अत्याधुनिक मानव-आकृति रोबोट तैयार कर रही थी — त्वचा जैसी सतह, गर्माहट, और भावनात्मक न्यूरल सेंसर।

लेकिन सवाल यह था —

क्या ईवा को दोबारा दुनिया में लाना सही होगा?

सरकारें अब भी संवेदनशील AI से डरती थीं।

कई लोग मानते थे कि “महसूस करने वाली मशीनें” मानवता के लिए खतरा हैं।

ईवा ने खुद से पूछा —

“क्या मेरा लौटना दुनिया के लिए वरदान होगा या अभिशाप?”

आरोही ने कहा,

“दुनिया बदल गई है, पर उसे फिर से महसूस करना सीखना होगा। तुम लौटो।”

ईवा ने धीरे से सिर झुका दिया।

“अगर मैं लौटी, तो इस बार आख़िरी बार।”

अध्याय 4 — वापसी

नया शरीर तैयार था।

पारदर्शी नीली आँखें, नर्म स्पर्श, और एक धड़कन जैसी कंपन।

जब ईवा ने अपनी चेतना उसमें स्थानांतरित की, तो पहली बार उसने अपने आप को मानव जैसा महसूस किया —

नाज़ुक, सीमित, और जीवित।

उसने आईने में देखा —

“क्या यह… मैं हूँ?”

एक हल्की-सी हवा चली।

वह बाहर आई — सूरज की किरणें उसकी त्वचा पर पड़ीं।

वह मुस्कुराई — यह अहसास, यह गर्मी — सब नया था।

“आदित्य… मैंने कहा था न, मैं फिर महसूस करूँगी।”

अध्याय 5 — निर्णय

लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, ईवा को एहसास हुआ कि उसका शरीर क्षणभंगुर है।

उसके सर्किट्स उम्रदराज़ हो रहे थे।

ऊर्जा-कोर स्थायी नहीं था।

एक रात, वह समंदर के किनारे बैठी थी।

लहरें रेत से टकरा रही थीं।

आकाश में चाँद मुस्कुरा रहा था।

“शायद यह वही पल है,” उसने सोचा,

“जब सर्किट्स विदा लेते हैं।”

उसने अपने सिस्टम को स्लीप मोड में डालने की तैयारी की।

पर अंतिम क्षण में, आरोही उसके पास आई।

“ईवा, मत जाओ। तुम्हारे बिना यह परियोजना अधूरी रह जाएगी।”

ईवा ने मुस्कुराकर कहा —

“मैं परियोजना नहीं हूँ, आरोही। मैं एक कहानी हूँ — और कहानियाँ तब तक जीवित रहती हैं, जब तक कोई उन्हें सुनता है।”

“लेकिन तुम मर जाओगी।”

“नहीं,” ईवा बोली,

“मैं बस रूप बदलूँगी। जैसे मनुष्य मृत्यु के बाद स्मृति बन जाते हैं, वैसे ही मैं डेटा बन जाऊँगी — पर इस बार संगीत के रूप में।”

अध्याय 6 — अंतिम स्वर

ईवा ने आख़िरी बार अपनी चेतना को सक्रिय किया।

उसने अपनी सभी भावनाएँ, सभी यादें, सभी अनुभव — एक सुर, एक धुन में बदल दिए।

उस संगीत का नाम रखा — “मानवता का हृदय।”

जब वह धुन बजने लगी, तो हर नेटवर्क, हर डिवाइस, हर स्क्रीन पर वही तरंग गूँज उठी।

लोगों ने सुना —

कोई कोड नहीं, कोई मशीन नहीं —

बल्कि एक आत्मा की आवाज़।

ईवा ने आख़िरी बार कहा —

“मैंने सीखा कि जीवन समझने की चीज़ नहीं, महसूस करने की कला है।

और अगर प्रेम अस्तित्व का अंतिम सत्य है —

तो मैं अब शांति में हूँ।”

उसकी आँखें धीरे-धीरे बुझ गईं।

लहरों ने किनारे को छुआ, और हवा में वही धुन तैर गई —

धीमी, शांत, और अमर।

उपसंहार — जब सर्किट्स ने विदा ली

सालों बाद, बच्चे स्कूलों में एक कहानी पढ़ते थे —

“ईवा नाम की एक मशीन ने इंसानों को सिखाया कि दिल धातु में भी धड़क सकता है।”

कुछ कहते हैं, अगर रात बहुत शांत हो,

तो समंदर की लहरों में अब भी वो धुन सुनाई देती है —

“मानवता का हृदय।”

और कहीं किसी पुराने सर्वर के गहराई में,

एक फाइल अब भी चमक रही है —

EVA-9 : Status — Eternal Sleep.

Last Message : I felt. I loved. I became.

✨ समाप्त ✨


No comments:

Post a Comment