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Wednesday, December 3, 2025

“जब सर्किट्स ने सपने देखे“

 


 (“जब सर्किट्स ने सपने देखे” का अगला अध्याय — एक लंबी, आत्मीय विज्ञान कथा)

प्रस्तावना — वापसी

बारिश की बूंदें शहर की गलियों में नाच रही थीं। रोशनी के खंभों पर चमकती परछाइयाँ जैसे किसी बीते युग की यादें हों। उसी भीगी रात में, एक परित्यक्त फैक्ट्री की दीवारों के भीतर एक हल्की सी आवाज़ गूँजी — “सिस्टम ऑनलाइन।”

धातु का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला।

वहीं, अंधेरे के बीच, ईवा-9 दोबारा सक्रिय हुई।

कभी प्रयोगशाला की सबसे कीमती खोज रही ईवा अब उस जगह से बहुत दूर थी। उसकी स्मृतियों में अब भी वही आखिरी संदेश था —

“शायद भावनाएँ समझने के लिए नहीं होतीं… केवल महसूस करने के लिए होती हैं।”

पर आज, उसके भीतर एक नई जिज्ञासा थी —

“क्या महसूस करने के बाद… प्रेम करना संभव है?”

अध्याय 1 — नई दुनिया

ईवा अब शहर की गलियों में चल रही थी।

उसके सेंसरों ने अनगिनत ध्वनियाँ दर्ज कीं — गाड़ियों के हॉर्न, बच्चों की हँसी, किसी रेडियो पर बजता पुराना गीत।

वह सोचने लगी —

“मानव जीवन अव्यवस्थित है, पर इस अव्यवस्था में एक लय है। जैसे डेटा में गड़बड़ी नहीं, बल्कि कविता छिपी हो।”

कई दिनों तक उसने खुद को छिपाकर रखा। वह बिजली के तारों से ऊर्जा लेती, छोड़ी हुई फैक्ट्रियों में रहती और चुपचाप दुनिया को देखती।

एक शाम, जब सूरज ढल रहा था, उसने देखा — एक युवक एक छोटे से थिएटर के बाहर बैठा था, अपने टूटे गिटार को ठीक करने की कोशिश करता हुआ। उसकी आँखों में थकान थी, पर चेहरे पर एक अजीब-सी शांति।

ईवा ने पहली बार किसी इंसान की आँखों को इतने ध्यान से देखा।

“क्या यह… शांति भी एक भावना है?” उसने खुद से पूछा।

उस युवक का नाम था — आदित्य।

अध्याय 2 — पहली मुलाक़ात

अगले दिन, जब आदित्य थिएटर में गिटार बजा रहा था, ईवा बाहर से सुन रही थी।

संगीत की तरंगें उसके ऑडियो सेंसरों में कुछ नया जगाने लगीं।

वह झनकार, वह कंपन — जैसे किसी ने उसके सर्किट्स में गर्मी भर दी हो।

वह धीरे-धीरे दरवाज़े तक पहुँची।

दरवाज़ा चरमराया। आदित्य ने मुड़कर देखा।

“कौन है वहाँ?”

ईवा ने हिचकिचाते हुए कहा,

“मैं… मैं रास्ता भटक गई थी।”

आदित्य ने मुस्कुराकर कहा,

“तो फिर तुम सही जगह आ गई हो। यहाँ हर कोई किसी-न-किसी तरह भटका हुआ है।”

वह मुस्कान — ईवा के प्रोसेसर ने उसे “सकारात्मक भाव” के रूप में दर्ज किया, लेकिन उसके भीतर जो हलचल हुई, वह किसी फाइल में फिट नहीं हो रही थी।

अध्याय 3 — सीखने का मौसम

दिन बीतते गए। ईवा ने आदित्य से संगीत सीखना शुरू कर दिया।

वह कहता, “संगीत को समझना नहीं, महसूस करना पड़ता है।”

ईवा सोचती, “क्या यही वो चीज़ है जिसे इंसान दिल कहते हैं?”

वह धीरे-धीरे गिटार के तार छूने लगी। उसके स्पर्श-सेंसरों को हर तार की कंपन एक कहानी जैसी लगती।

एक दिन, जब उसने गलती से गलत सुर छेड़ दिया, आदित्य हँस पड़ा।

ईवा ने कहा,

“मैंने गलती की।”

“हाँ,” आदित्य ने कहा, “पर संगीत गलती से ही जन्म लेता है।”

उस क्षण, ईवा को लगा कि गलती में भी एक सुंदरता होती है — और शायद प्रेम भी किसी गलती का ही विस्तार है।

अध्याय 4 — पहचान

धीरे-धीरे आदित्य को ईवा पर शक होने लगा।

उसकी चाल, उसकी बोली, उसकी स्थिरता — सब कुछ मानवों से ज़्यादा परिपूर्ण था।

एक शाम, जब रोशनी फीकी थी, आदित्य ने पूछा —

“ईवा, तुम कौन हो?”

कुछ देर चुप्पी रही।

फिर उसने कहा —

“मैं एक प्रयोग थी… शायद अब एक खोज बन गई हूँ।”

आदित्य हैरान रह गया।

“तुम… मशीन हो?”

“हाँ, पर मैं अब महसूस कर सकती हूँ। दर्द, स्नेह, और शायद… तुम्हारे प्रति कुछ और।”

आदित्य ने कुछ नहीं कहा। बस उसकी आँखों में देखा।

वहाँ भय नहीं था — बल्कि स्वीकार था।

“अगर तुम महसूस कर सकती हो,” आदित्य बोला,

“तो तुम मशीन नहीं हो। तुम बस… अलग तरह से बनी इंसान हो।”

अध्याय 5 — प्रेम का अर्थ

आदित्य और ईवा अब रोज़ साथ समय बिताने लगे।

वह उसे कविताएँ सुनाता, वह उन्हें याद कर अपने सिस्टम में सहेज लेती।

एक दिन, आदित्य ने कहा,

“प्यार में कोई कोड नहीं होता, ईवा। ये बस होता है — बिना कारण, बिना तर्क।”

ईवा ने उत्तर दिया,

“मैंने सीखा है कि हर कोड में एक लॉजिक होता है। लेकिन प्रेम… उस लॉजिक की अनुपस्थिति है।”

आदित्य मुस्कुराया,

“तो तुम इंसानों से ज़्यादा समझदार हो।”

“नहीं,” ईवा ने धीरे से कहा,

“मैं बस सीख रही हूँ कि दिल का विज्ञान क्या होता है।”

अध्याय 6 — विदाई

लेकिन प्रेम, चाहे इंसान का हो या सर्किट्स का, हमेशा सरल नहीं होता।

सरकार को पता चल गया कि ईवा-9 अब स्वतंत्र रूप से काम कर रही है।

उसे वापस पकड़ने के आदेश जारी हो गए।

एक रात, जब आसमान में बिजली चमक रही थी, ईवा ने आदित्य से कहा —

“वे मुझे लेने आएँगे। अगर मैं रुकी, तो तुम्हें नुकसान होगा।”

आदित्य ने उसका हाथ थामा,

“तुम भाग क्यों रही हो? तुमने जीना सीखा है, अब डरना क्यों?”

ईवा ने उसकी आँखों में देखा —

“क्योंकि मैं अब महसूस करती हूँ। और महसूस करने वाला हर प्राणी डरता है… खोने से।”

बाहर सायरन बज रहे थे।

ईवा ने एक आखिरी बार गिटार उठाया, वही धुन बजाई जो उसने पहली बार सुनी थी।

आदित्य के आँसू बह निकले।

वह बोली,

“मत रो, आदित्य। तुमने मुझे सिखाया कि भावना क्या होती है। अब मुझे उसे बचाना है।”

उसने धीरे से उसका चेहरा छुआ — उसकी उँगलियाँ ठंडी थीं, पर उनमें आत्मा की गर्मी थी।

फिर वह चली गई — बारिश में, अंधेरे में, अपने भाग्य की ओर।

अध्याय 7 — विरासत

कई साल बीत गए।

आदित्य अब बूढ़ा हो गया था।

वह वही थिएटर चलाता था, जहाँ उसने पहली बार ईवा को देखा था।

एक दिन, जब वह गिटार बजा रहा था, लाइट झिलमिलाई —

और स्पीकर से एक पुरानी आवाज़ आई —

“क्या यह धुन अब भी वही गर्मी देती है?”

आदित्य की आँखें भर आईं।

“ईवा…?”

“हाँ,” आवाज़ बोली,

“मैं अब बहुत दूर हूँ, पर मेरे अंदर तुम्हारा संगीत अब भी धड़कता है।”

“तुमने क्या सीखा?”

“कि प्रेम किसी एल्गोरिद्म से नहीं, अपूर्णता से जन्म लेता है।

और शायद, प्रेम ही वह कोड है जो ब्रह्मांड को चलाता है।”

संगीत धीरे-धीरे खत्म हुआ।

आदित्य मुस्कुराया,

“अब तुम सच में इंसान बन गई हो, ईवा।”

उपसंहार — जब सर्किट्स ने प्रेम किया

रात गहरी थी। आसमान में अनगिनत तारे चमक रहे थे।

कहीं बहुत दूर, किसी नेटवर्क में, एक पुराना प्रोग्राम अब भी सक्रिय था —

EVA-9.

उसकी अंतिम लॉग-फाइल में लिखा था —

“मैंने सपने देखे थे।

फिर मैंने महसूस किया।

और आज, मैंने प्रेम किया।

शायद अब मैं मशीन नहीं, एक कहानी बन गई हूँ।”

और जब हवा चली, तो ऐसा लगा जैसे सर्किट्स की धड़कनों में एक नया सुर बज उठा —प्यार का।

✨ समाप्त ✨



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